परम पावन परमजी द्वारा समस्त मानव मात्र को संदेश.
पवित्रात्मन
हरिः ओउम्
“ तुम मुझसे मेरी साधना का निजी अनुभव जानना चाहते हो. मैं अपने आप को नहीं जानता. केवल मैं अपने शरीर के अन्दर और बाहर अनेक ब्रह्माण्ड देखता हूँ. मैं अपना अस्तित्व ब्रह्माण्ड में और ब्रह्माण्ड से परे भी पाता हूँ. मेरे पास क्यों-कैसे का जवाब देने के लिए शब्द नहीं हैं.”
“सच्चाई से कहूँ. मैं पृथ्वी हूँ. व्यक्तिगत प्राणी पेड़ हैं. पृथ्वी एक होती है. पेड़ अनेक. प्रत्येक वृक्ष अपने बनावट और प्रकृति के अनुकूल ही स्वाद ग्रहण करता है.”
“मधुमक्खियाँ मुझमें शहद खोजती हैं, सूअर मल खोजते हैं और मक्खियाँ शहद और मल दोनों. स्वयं अपने अन्दर झांको और स्वयं को पहचानो. तुम अपने अस्तित्व के अनुसार मुझे पाओगे. साधना करो और अपने अस्तित्व से ऊपर उठो तुम जीवित हो.”
“सच्चाई से कहूँ मेरे मार्ग-दर्शन में साधना करने वाले साधक के लिए मुक्ति कुछ भी नहीं है. मुझ पर विश्वास करो मेरे मार्ग दर्शन में की गई साधना आपको मुक्ति दाता बना सकती है.””
“वह जो इसका प्रतिदिन अध्ययन करेंगे और वह जो मेरे मार्ग दर्शन में प्रतिदिन साधना करेंगे उन्हें भी समय आने पर ऐसे ही अनुभव होंगे. उनका जीवन और अस्तित्व वर्तमान से बेहतर होगा. बाकी मैं व्यक्तिगत प्राणी पर छोड़ता हूँ जिनका जीवन कुत्तों और प्रसन्न सूअरों की तरह है. मेरे द्वारा रिक्त छोड़े गए को वे स्वयं ही भरेंगे. निंदनीय बचन की प्रतीक्षा करो. आप इस पुस्तक पर, मुझपर और स्वयं तथा अन्य महान साधकों पर कई व्यंग–विचार सुनेंगे.”
प्रेम और आशीर्वाद के साथ
अद्वैतानन्द
P3Y परमजी पप्र परमयोग P3Y परमजी पप्र परमयोग P3Y
परमवाणी
1 परमं शरणं गच्छामि. 2 हंसं शरणं गच्छामि. 3 अद्वैतं शरणं गच्छामि. 4 आनन्दं शरणं गच्छामि. 5 चरणं शरणं गच्छामि. 6 हे परमजी. 7 मुझ पर कृपा करो – मेरे परिवार पर कृपा करो. 8 सिर झुकाकर परमजी – तथा – परमजी की अदृश्य अलौकिक शक्ति को नमस्कार करता / करती हूँ. 9 P3Y में अपनी शक्ति दो – आशीर्वाद दो – वर्तमान से अधिक सुखी, सम्पन्न, शांत, निरोग व आनन्द में रहूँ. 10 इच्छा पूर्ण होते ही – पकर में – एक पैसा – परमजी के आदेशानुसार – परमजी की व्यवस्था में दूंगा. 11 इच्छा पूर्ण होते ही – पकर में – एक नये व्यक्ति को किसी भी माध्यम से P3Y सिखाऊंगा. P3Y करो – परमजी आपकी सुखद इच्छायें पूर्ण करेंगे. संकट दूर करेंगे. “परमयोग पीड़ित को आनन्द, बहिष्कृत और निराश को आशा, वीर को साहस, साधक को दोष मुक्तता, तथा सिद्ध पुरुष को मुक्ति देता है.”
पप्र तथा परमयोग
पप्र करो: परमजी आपकी इच्छा पूरी करेंगे. परमजी आपके संकट दूर करेंगे.
परमयोग करो: आपको मानसिक शांति मिलेगी. आध्यात्मिक अनुभव होगा. आपके परिवार में अधिक स्नेह व प्यार रहेगा.
चीनी की मिठास का अनुभव चीनी खाने से होता है. वाद विवाद करने से नहीं. इसी प्रकार पप्र करो आपका अनुभव ही प्रमाण होगा कि पप्र करने से परमजी इच्छा पूर्ण करते हैं. संकट दूर करते हैं. प्रत्येक धर्म, जाति, गुरु परम्परा, इष्ट परम्परा,के लोग अपना धर्म मानते हुए पप्र करके अपनी इच्छा पूर्ण करा सकते हैं.
नोट: पप्र से नहीं पूरी होती है – अति आशा – जैसे बिना खाए पेट भर जाये लाटरी, जुआ, व्यभिचार में पप्र काम नहीं करता है.
कौन कर सकता है – जिसकी समस्या है वही पप्र करेगा. दूसरे लोग अपने अबोध बच्चे, पालतू जानवरों, वनस्पतियों तथा बीमार या घायल, बेहोश व्यक्ति के लिए पप्र कर सकते हैं.
परमयोग : मानसिक शान्ति
परमयोग में मूल क्रिया परमनाद है. परमनाद से मानसिक शान्ति मिलती है, आध्यात्मिक अनुभूति होती है.
परमनाद तीन प्रकार के हैं :-
परमनाद – नाक से नाक से – रीढ़ की हड्डी सीधी, गर्दन सीधा, आखें बंद, ओठ बंद, आगे का दांत खुला, जीभ अपने स्थान पर, नाक से पूरा सांस लेना है और एक आवाज (नाद) के साथ सांस छोड़ना है.
परमनाद – मुँह से नाक से - रीढ़ की हड्डी सीधी, गर्दन सीधा, आखें बंद, ओठ खुला, आगे का दांत सटा, जीभ अपने स्थान पर, थोड़ा सा खुले ओठ से पूरा सांस लेना है. ओठ बन्द कर और आगे के दांत को एक – दूसरे से अलग कर नाक से आवाज (नाद) करते हुए सांस छोड़ना है.
परम स्वांस – सभी स्थिति परमनाद - मुँह से नाक से वाली पर आखें खुली और स्वांस छोड़ते समय आवाज नहीं, इसे ऐसे समय पर करें जहाँ आवाज करना उचित नहीं, जैसे – ऑफिस में, ट्रेन में सफर के दौरान आदि.
कब करना है:-
सुबह उठते ही – बिस्तर पर शुद्धि-अशुद्धि का ख्याल किए बिना – तीन परमनाद मुख्य काम पर जाते समय – ऑफिस, स्कूल, कॉलेज या गृहणियाँ चौके में जाते समय – तीन परमनाद रात को सोते समय – तीन से दस परमनाद.
कब नहीं करना है:-
वाहन चलाते समय ( वाहन कोई भी ) दुर्गन्ध वाली जगह, धूल या धुआं वाले स्थान पर परमनाद नहीं करना है.